मन में बैठे बुरे विचारों के कूड़े- करकट को झाड़ कर जीवन जीने की निर्मल दृष्टि देता है हास्य

ओशो ग्लीम्पस पर विश्व हास्य दिवस पर विशेष ध्यान शिविर

 इंदौर. हास्य भी एक ध्यान प्रक्रिया है। हास्य में अदभुत क्षमता है जो रूढिय़ों और मन में कब्जा जमाए बैठे बुरे विचारों के कूड़े- करकट को झाड़ कर जीवन जीने की निर्मल दृष्टि देता है. चिकित्सा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि जो काम दवाई नहीं कर सकती, वह काम हंसी कर सकती है, वह भी बिना किसी साईड इफेक्ट के. भगवान ने केवल मनुष्य को ही यह पात्रता दी है इसलिए खुद भी हंसे और दूसरों को भी हंसाते रहें.

सपना-संगीता के पीछे अशोक नगर स्थित ओशो ग्लीम्पस पर चल रहे ओशो ध्यान एवं तनाव मुक्ति शिविर में आज विश्व हास्य दिवस के उपलक्ष्य में ओशो के हास्य मेडिटेशन का विशेष आयोजन किया गया जिसमें प्रेम गरिमा ने 50 से अधिक साधकों को हास्य-ध्यान के विभिन्न प्रयोग कराते हुए उक्त बातें कहीं.

शिविर में महिलाओं से ले कर युवाओं और 55 से अधिक आयु वाले साधकों ने भी पूरे उत्साह के साथ सुबह 7.15 से 8.30 बजे तक भाग लिया. इस दौरान हंसी के अनेक मजेदार और दिलचस्प तरीके भी देखने को मिले. साधकों ने भी स्वीकार किया कि हंसी और ध्यान के समन्वय से उन्हें बहुत हल्कापन लग रहा है. सचमुच हंसी से बड़ी कोई और औषधि नहीं हो सकती.

साधकों ने शिविर में उन्मुक्त, ठहाका, खिलखिलाहट और स्वाभाविक हंसी के साथ ही बच्चों की तरह किलकारियां भरने जैसी हसंी को के्रजी डांस के बीच आत्मसात किया. प्रेम गरिमा ने कहा कि ओशो के लाफ्टर मेडिटेशन में कुछ इसी तरह का पागलपन मौजूद है जो मनुष्य को सभी तरह की चिंताओं से मुक्त बनाता है.

प्रेम गरिमा ने बताया कि गत 25 अप्रैल से चल रहे इस शिविर में अनेक तरह के ध्यान, नृत्य एवं शरीर से जुड़ी विभिन्न क्रियाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. गर्मी की छुट्टियों को देखते हुए बच्चों के लिए भी एक विशेष शिविर लगाया जाएगा.

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